लेख-निबंध >> छोटे छोटे दुःख छोटे छोटे दुःखतसलीमा नसरीन
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जिंदगी की पर्त-पर्त में बिछी हुई उन दुःखों की दास्तान ही बटोर लाई हैं-लेखिका तसलीमा नसरीन ....
कंजेनिटल एनोमॅली
(1)
स्वास्थ्य विभाग का एक नियम है, किसी भी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, स्वास्थ्य कॉम्प्लेक्स, रूरल या अर्बन डिस्पेंसरी में सरकारी डॉक्टर तीन साल तक टिके रह सकते हैं। अगर वह खुद न हटना चाहे, तो तीन साल से पहले, उसे नहीं हटाया जाता। सो, साल भर में ही शहर के अस्पताल से किसी उजाड़-गाँव-बस्ती के किसी डिस्पेंसरी में पोस्टिंग पर भेज दिया गया एक डॉक्टर, मुँह लटकाए, स्वास्थ्य विभाग के बरामदे में बैठा हुआ था। इस बरामदे में बहुतेरे डॉक्टरों की भीड़ लगी रहती है। किसी के चेहरे पर हँसी! किसी का चेहरा उदास! उन लोगों का चेहरा हँस रहा होता है, जो लोग मंत्री की तरफ से ज़ोर लगाकर, ढाका के किसी अस्पताल में पोस्टिंग वसूल लेते हैं।
बरामदे में बैठे हुए उदास डॉक्टर से मैंने दरयाफ्त किया, 'आपका क्या मसला है?'
'जिस अस्पताल में तीन साल रहने का मेरा हक़ बनता था, वहाँ से मुझे कुल साल भर में हटा दिया गया।'
'क्यों?' 'क्योंकि मुझे 'कंजेनिटल एनोमॅली' जो है, इसीलिए।'
कंजेनिटल एनोमॅली का मतलब है जन्मजात पंगुत्व! मैंने उस डॉक्टर को आपादमस्तक गौर से देखा। उन साहब के हाथ-पाँव, छाती-पेट, आँख-कान-नाक-होंठ, उँगलियाँ-सभी कुछ स्वाभाविक था। वे न तो लँगड़े थे। न काने! उनका कौन-सा अंग पंगु है?
यही जानने के लिए, मैंने उनसे सवाल किया, 'आपका ‘कंजेनिटल एनोमॅलिटी' किस अंग में है? मुझे तो कहीं नजर नहीं आ रहा है।'
डॉक्टर ने लंबी उसाँस भरकर पूछा, 'आप पकड़ नहीं पाईं? मेरा नाम अनिमेष मित्र है।'
(2)
मिखारुन्निसा नून स्कूल और कॉलेज की एसेम्बली में जातीय संगीत गाने से पहले, सस्वर कुरान की सुरा का पाठ किया जाता है। सुरा फातेहा और सुरा इखलास! सिर्फ अरबी में ही नहीं, बांग्ला और अंग्रेजी में भी इसकी व्याख्या पढ़ते हैं। उसके बाद, जातीय संगीत! पहले धर्म, वाद में देश! लेकिन स्कूल, कॉलेज के हिंदू बौद्ध, ईसाई लड़कियों को भी इस एसेम्बली में इस्लाम धर्म हुँसाया जाता है। इसकी क्या वजह है? अगर सुरा-पाठ को 'प्रार्थना' कहा जाए, तो हिंदू, बौद्ध और ईसाई की 'प्रार्थना' कहाँ गई? या 'विधर्मी' लोगों को दल बाँधकर अब मुसलमान बन जाना होगा? हर सुबह स्कूल-कॉलेज की यह ‘प्रार्थना', गैर-मुसलमानों की पीठ पर 'इस्लामी चाबुक' भर है, और कुछ नहीं!
(3)
पिछले वर्ष धार्मिक खाते में खर्च होने वाला बजट, अनुन्नयन खाते में शामिल था धार्मिक सहायता मंजूरी : इस्लामिक फाउंडेशन, ढाका-1,50,00,0000 टका। वक्फ प्रशासक मंजूरी-8,00,000। अन्यान्य धार्मिक मंजूरी-2,60,00,000 टका। जकात फंड प्रशासक 2,20,000। इस्लामिक मिशन प्रतिष्ठान बावत, 2,50,00,000 टका संख्यालघु संप्रदाय के लिए अमानत तहबिल में-2,50,000 टका। मस्जिद में बिना मूल्य बिजली सप्लाई-1,20,00,000 टका। मस्जिद में बिना मूल्य पानी सप्लाई-50,00,000 टका। ढाका तारा मस्जिद-3,00,000 टका। बयतुल मुकर्रम मस्जिद की देखरेख-15,00,000 टका। प्रशिक्षण और उत्पादनमुखी कार्यक्रम निविड़करण और प्रसार के लिए कुल अनुन्नयन पर मंजूरी-10,93,38,000 टका। उन्नयन के खाते में धर्म-विषयक मंत्रालय-20,00,000 टका। बांग्ला में इस्लामिक विश्वकोश संकलन और प्रकाशन-20,000 टका। इस्लामिक फाउंडेशन इस्लामिक सांस्कृतिक केन्द्र योजना-1,90,00,000 टका। मस्जिद पाठागार योजना-25,00,000 टका। नए-नए ज़िलों में इस्लामी सांस्कृतिक केन्द्र विस्तार, इमाम प्रशिक्षण। ट्रेनिंग अकादमी 1,50,00,000 टका। कुल-5,68,50,000 टका। उसके बाद उप-खाते में इस्लाम धार्मिक अनुष्ठान, उत्सव उद्यापन वगैरह के लिए भी टके विभाजित किए गए हैं-5,00,000 टका। इस्लाम के धार्मिक संगठनों के लिए कार्यक्रम आधारित सहायता मंजूरी-28,60,000 टका। माननीय संसद सदस्य/सदस्यों के माध्यम से देश के विभिन्न मस्जिदों के सुधार-संस्कार। मरम्मत और पुनर्वासन के लिए-2,00,000 टका। विदेश से आगत और विदेश जानेवाले धार्मिक प्रतिनिधि दल के लिए खर्च की मंजूरी-10,00,000 टका। अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक संस्था बावत चंदा-6,40,000 टका। नव-मुसलमान, दीन-गरीब पुनर्वासन के लिए-10,00,000 टका। कुल, 2,60,00,000 टका।
(उत्स : धर्म मंत्रालय की स्मारिका नं. 2/अ-7/91-92 ता. 28.11.91 अं.)
सन् 1991-92 में धार्मिक बजट मंजूरी में साफ़ नज़र आता है कि उन्नयन और अनुन्नयन खाते में मंजूरी की कुल रकम है-16,62,13,000 टका। इसमें संख्यालघु सम्प्रदाय के लिए अमानत फंड के तौर पर कुल 2,50,000 टके। देश में धार्मिक संख्यालघु की संख्या लगभग ढाई करोड़ है। ढाई करोड़ लोगों के लिए ढाई लाख टकों की मंजूरी वाकई हास्यास्पद है। इस बजट का एक उल्लेखनीय पक्ष है-नव मुसलमानों के पुनर्वासन का खर्च! संख्यालघु लोगों के लिए विकास के लिए कुछ भी मंजूर नहीं किया गया। लेकिन नव मुसलमानों के लिए होने वाले खर्च को मंजूरी दी गई है यानी जो संख्यालघु, इस्लाम धर्म अपना लेंगे, उन्हें रुपए-पैसे दिए जा रहे हैं।
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- आपकी क्या माँ-बहन नहीं हैं?
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- कंजेनिटल एनोमॅली
- समालोचना के आमने-सामने
- लज्जा और अन्यान्य
- अवज्ञा
- थोड़ा-बहुत
- मेरी दुखियारी वर्णमाला
- मनी, मिसाइल, मीडिया
- मैं क्या स्वेच्छा से निर्वासन में हूँ?
- संत्रास किसे कहते हैं? कितने प्रकार के हैं और कौन-कौन से?
- कश्मीर अगर क्यूबा है, तो क्रुश्चेव कौन है?
- सिमी मर गई, तो क्या हुआ?
- 3812 खून, 559 बलात्कार, 227 एसिड अटैक
- मिचलाहट
- मैंने जान-बूझकर किया है विषपान
- यह मैं कौन-सी दुनिया में रहती हूँ?
- मानवता- जलकर खाक हो गई, उड़ते हैं धर्म के निशान
- पश्चिम का प्रेम
- पूर्व का प्रेम
- पहले जानना-सुनना होगा, तब विवाह !
- और कितने कालों तक चलेगी, यह नृशंसता?
- जिसका खो गया सारा घर-द्वार